हिन्दी के प्रवासी साहित्य का संसार अब इतना व्यापक हो चुका है कि उसने अपना एक आकाश बनाने में सफलता हासिल कर ली है| प्रवासी साहित्य आज ऐसे मुकाम पर पहुँच चुका है जहाँ वह हिन्दी साहित्य के व्यापक मानचित्र में उचित एवं सम्मानपूर्ण स्थान का मजबूत दावेदार बन बैठा है| यह पुस्तक उन सभी शोधकर्ताओं के लिए बहुत उपयोगी होगी जो प्रवासी हिंदी साहित्य पर शोध कर रहे हैं। यह पुस्तक उन सभी पाठकों को गहन ज्ञान देगी जो प्रवासी हिंदी साहित्य के लेखन और लेखकों के बारे में जानना चाहते हैं।

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